झांसी: अस्पताल के एनआईसीयू में आग लगने से 10 नवजातों की मौत, 16 घायल; सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिए जांच के आदेश
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आग लगने के समय लगभग 30 बच्चे एनआईसीयू अनुभाग में थे, और अधिकांश को बचा लिया गया।
झांसी जिले के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज में शनिवार, 16 नवंबर, 2024 को लगी आग के बाद नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) के अंदर जले हुए अवशेष देखे गए। (पीटीआई फोटो)
उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में शुक्रवार रात को भीषण आग लग गई, जिसके कारण कम से कम 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई और 16 अन्य घायल हो गए। अधिकारियों ने आग का कारण संभवतः बिजली का शॉर्ट सर्किट बताया है।
घटना कैसे घटी
आग रात करीब 10:45 बजे एनआईसीयू में लगी, जहां 50 से ज़्यादा शिशुओं का इलाज चल रहा था। ज़िला मजिस्ट्रेट अविनाश कुमार ने पुष्टि की कि आग ने एनआईसीयू के अंदरूनी हिस्से को प्रभावित किया, जहां गंभीर रूप से बीमार शिशुओं को रखा गया था।
पत्रकारों से बात करते हुए कुमार ने कहा, ” प्रथम दृष्टया 10 बच्चों की मौत की सूचना है।” बचाव प्रयासों से कई शिशुओं को बचाया गया, जिनमें एनआईसीयू के बाहरी हिस्से में मौजूद बच्चे भी शामिल हैं। हालांकि, आग लगने से व्यापक दहशत फैल गई, माता-पिता और देखभाल करने वाले लोग सुरक्षा के लिए संघर्ष कर रहे थे।
झांसी के संभागीय आयुक्त बिमल कुमार दुबे ने बताया कि आग लगने के समय लगभग 30 बच्चे एनआईसीयू सेक्शन में थे, और अधिकांश को बचा लिया गया।
मेडिकल कॉलेज ने बताया कि घटना के समय 52 से 54 बच्चे भर्ती थे।
प्रतिक्रिया और राहत उपाय
आग पर काबू पाने और बचाव अभियान को संभालने के लिए फायर ब्रिगेड और वरिष्ठ जिला अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे। घटनास्थल से प्राप्त तस्वीरों में अफरा-तफरी का माहौल देखा जा सकता है, जब माता-पिता और मेडिकल स्टाफ बच्चों को बाहर निकाल रहे थे, जबकि पुलिस बचाव कार्य में मदद कर रही थी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए अधिकारियों को बचाव और राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “झांसी जिले में स्थित मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में हुई दुर्घटना में बच्चों की मृत्यु अत्यंत दुखद और हृदय विदारक है।”
स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक राज्य के प्रमुख स्वास्थ्य सचिव के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। पाठक ने लोगों को पूरी जांच और लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आग में बच्चों की मौत पर शोक व्यक्त करते हुए आश्वासन दिया कि राज्य सरकार की निगरानी में स्थानीय प्रशासन राहत एवं बचाव के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से हिंदी में लिखे गए एक पोस्ट में मोदी के हवाले से कहा गया, “हृदय विदारक! उत्तर प्रदेश के झांसी मेडिकल कॉलेज में आग लगने की घटना हृदय विदारक है। इस दुर्घटना में अपने मासूम बच्चों को खोने वाले लोगों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उन्हें इस अपार दुख को सहने की शक्ति प्रदान करें।” उन्होंने कहा, “राज्य सरकार की देखरेख में स्थानीय प्रशासन राहत और बचाव के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।”
प्रभावित परिवारों के लिए वित्तीय सहायता
उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री राहत कोष से मृतकों के परिवारों को 5 लाख रुपए और घायलों को 50,000 रुपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। उपमुख्यमंत्री पाठक ने कहा कि मृतक नवजात शिशुओं में से तीन की पहचान के लिए डीएनए परीक्षण कराया जा सकता है।
जांच जारी है
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) सुधा सिंह ने कहा कि विस्तृत जांच शुरू कर दी गई है। शुरुआती रिपोर्ट से पता चलता है कि आग ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में शॉर्ट सर्किट के कारण लगी होगी। सिंह ने पुष्टि की कि एनआईसीयू में सभी बच्चों की पुष्टि के लिए प्रयास जारी हैं, क्योंकि कुछ माता-पिता कथित तौर पर अफरा-तफरी के दौरान अपने बच्चों को घर ले गए थे।
उपमुख्यमंत्री पाठक ने कहा, “प्रशासनिक, पुलिस, अग्निशमन विभाग और मजिस्ट्रेट स्तर पर जांच के आदेश दे दिए गए हैं। अगर कोई चूक पाई गई तो किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।”
इस त्रासदी ने परिवारों और समुदाय को शोक में डुबो दिया है। महोबा जिले के एक दंपति सहित जिन माता-पिता ने अपने बच्चों को खो दिया है, उन्होंने अपनी पीड़ा व्यक्त की है। एक माँ जिसका बच्चा आग लगने से कुछ घंटे पहले ही पैदा हुआ था, वह फूट-फूट कर रो रही थी और कह रही थी, ” मेरा बच्चा आग में मारा गया है।”
इस घटना ने सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा प्रोटोकॉल को लेकर गंभीर चिंताएँ पैदा कर दी हैं। बुंदेलखंड क्षेत्र में सबसे बड़ी चिकित्सा सुविधाओं में से एक, महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज हज़ारों रोगियों की सेवा करता है। अधिकारियों और स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों पर अब यह सुनिश्चित करने का दबाव बढ़ रहा है कि ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों।
(एजेंसी इनपुट्स के साथ)